Saturday, October 1, 2016

Baglamukhi Hriday Mantra

Baglamukhi Mantra - Bagla Hriday Mantra

This is said about Bagla Hriday Mantra that if a person recite only one time of Bagla Hriday Mantra then he/she gets all desired thing. To do this Baglamukhi Mantra a person does not required any Guru moreover there is not a necessity for Guru Deeksha to recite this mantra.
This Baglamukhi Hriday mantra is recited for Money, intelligence, fame etc.

न ध्यानं न च होमं न च जपं न च तर्पणम् |
सक्रदुच्चरणात् तस्य चिन्तितं भवति ध्रुवम् ||


अर्थातः
बगला हृदय मन्त्र के केवल एक उच्चरण् से ही साधक का मनोरथ पूर्ण हो जाता है , इसमे न तो ध्यान की आवश्यकता है , न हवन की , न जप की और न ही तर्पण् की |

न चाभिषेकं न च मन्त्रदीक्षा
न चात्र दिक्काल्रऋतुश्च  देवता |
न चापि पन्च्चेन्द्रियनिग्रहं च
सकृत्स्मरन्वै बग्लाख्यह्र्न्मुनुम् ||


अर्थातः
बगला हृदय मन्त्र के केवल एक बार स्मरण् की जरूरत है , इसकी साधना में मन्त्र - साधना के लिये अपेक्षित अभिषेक ,  मन्त्र दीक्षा , काल , ऋतु , देवता तथा पन्च्चेन्द्रिय निग्रह आदि के अनुसरण की अनिवार्यता नही है |


बगला हृदयमन्त्र जप का फ़ल्


दरिद्रोऽपि भवेच्छ्रीमान् स्तब्धो भवति पण्डितः |
चतुरो मुष्करश्चैव कीर्तिमान्निदितो भवेत् ||


अर्थातः
बगला हृदय मन्त्र के केवल एक बार स्मरण् मात्र से दरिद्र व्यक्ति भी लक्ष्मीवान हो जाता है , जड व्यक्ति भी पण्डित अर्थात विद्वान् हो जाता है , मुष्कर भी बुद्धिमान हो जाता है | तथा निन्दित भी कीर्तिमान हो जाता है |


बगला हृदयमन्त्र 


आं ह्लीं क्रों ग्लौं हुं ऐं क्लीं श्रीं ह्लीं बगलामुखि आवेशय
आवेशय आं ह्लीं क्रों ब्रह्मास्त्ररुपिणि एहि एहि आं ह्लीं क्रों
मम हृदये आवाहय आवाहय सान्निध्यं कुरु कुरु आं ह्लीं क्रों
ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ आं ह्लीं क्रों हुं फ़ट् स्वाहा |


(aam hleem krom glaum hum aim kleem shreem hleem bagalamukhi aaveshay
aaveshay aam hleem krom brahmastrarupini ehi ehi aam hleem krom
mam hriday avahay avahay sannidhyam kuru kuru aam hleem krom
mamaiv hriday chiram tishtha tishtha aam hleem krom hum fat svaha)

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