Sunday, January 15, 2017

Shri Baglamukhi Shatakshari Maha Mantra (श्री बगलामुखी शताक्षरी महामंत्र )

षट्कर्म निर्माणमिदम् सुसिद्धं 
शताक्षरी मन्त्रमषेशदुःखं          |
होमेन सन्स्तम्भनमाचरेद् बुधो -
विद्यासु सिद्धं मुनिगुह्यामादरात् ||

अर्थात
सताक्षरी मन्त्र समस्त दुःखो का हरण् करने वाला तथा मारण मोहनादि षट्कर्म विधायक प्रसिद्ध्, अनुभूत और गोपनीय मन्त्र है | बुद्धिमान् को चाहिये कि वह इस मन्त्र के प्रति आदर और निष्ठा के साथ् इससे मोहनादि षट्कर्म - प्रयोग संपादित करे |

Shri Baglamukhi Shatakshari Maha Mantra (श्री बगलामुखी शताक्षरी महामंत्र )

Mantra (मंत्र):


ह्लीं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ग्लौं ह्लीं बगलामुखि स्फुर स्फुर सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय प्रस्फुर प्रस्फुर विकटाङ्गि घोररूपि जिह्वां कीलय महाभ्रमकरि बुद्धिं नाशय विराण्मयि सर्वप्रज्ञामयि प्रज्ञां नाशय उन्मादीकुरु कुरु मनोपहारिणि ह्लीं ग्लौं श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं ह्लीं स्वाहा |

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विनियोगः



ॐ अस्य श्रीबगलामुखी शताक्षरी महामन्त्रस्य श्रीब्रह्मा ऋषिः , गायत्री छन्द: , जगत्स्तंभनकारिणि  श्रीबगलामुखी  देवता , ह्लीं बीजं , ह्रीं शक्तिः , ऐं कीलकं, जगत्स्तंभनकारिणि  श्रीबगलामुखी  श्रीबगलामुखी देवताप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः |  


ऋष्यादिन्यासः (Rishyadinyasah)


श्री ब्रह्मर्षये नमः , शिरसि ,
गायत्री छन्दसे नमः , मुखे ,
जगत्स्तंभनकारिण्ये श्री बगलामुखी देवतायै नमः हृदि ,
ह्लीं बीजाय नमः गुह्यो ,
ह्रीं शक्तये नमः पादयोः ,
ऐं कीलकाय नमः सर्वाङ्गे |


करन्यासः  (karanyasah)


ॐ ह्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः , बगलामुखी तर्जनीभ्यां स्वाहा , सर्वदुष्टानां मध्यमाभ्यां वषट्, वाचं मुखं पदं स्तम्भय अनामिकाभ्यां हुं , जिह्वां कीलय कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् , बुद्धिं विनाशाय ह्लीं ॐ स्वाहा करतलकरप्रष्ठाभ्यां फ़ट् |


ह्रदयादिन्यासः  (hradyadinyasah)


ॐ ह्रीं ह्रदयाय नमः , बगलामुखी शिरसे स्वाहा, सर्वदुष्टानां शिखायै वषट् , वाचं मुखं पदं स्तम्भय कवचाय हुं , जिह्वां कीलय नेत्रत्राय वौषट् , बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा अस्त्राय फ़ट् |


ध्यानम्


पीतांबरधरां सौम्यां पीतभूषणभूषितां |
स्वर्ण् सिन्घासनस्थां च मूले कल्पतरोरधः ||
वैरिजिह्वां भेदनार्थं छुरिकाम् बिभ्रतीं शिवाम् |
पानपात्रं गदां पाशं धारयन्तीं भजाम्यहम् ||